श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 186
 
 
श्लोक  1.17.186 
এত কহি’ সিṁহ গেল, আমার হৈল ভয
এই দেখ, নখ-চিহ্ন অমোর হৃদয
एत क हि’ सिंह गेल, आमार हैल भय ।
एइ देख, नख - चिह्न अमोर हृदय ॥186॥
 
अनुवाद
"यह कहकर वह सिंह चला गया, लेकिन मैं उससे बहुत डरा हुआ था। देखो मेरे हृदय पर उसके नाखूनों के निशान हैं!"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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