श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  1.17.18 
তবে সপ্ত-প্রহর ছিলা প্রভু ভাবাবেশে
যথা তথা ভক্ত-গণ দেখিল বিশেষে
तबे स प्त - प्रहर छिला प्रभु भावावेशे ।
यथा तथा भक्त - गण देखिल विशेषे ॥18॥
 
अनुवाद
इस घटना के पश्चात भगवान इक्कीस घण्टों तक समाधिस्थ हो गए और सभी भक्तों ने उनकी अवर्णनीय लीलाओं का दर्शन किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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