श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 130
 
 
श्लोक  1.17.130 
প্রভু আজ্ঞা দিল — যাহ করহ কীর্তন
মুঞি সṁহারিমু আজি সকল যবন
प्रभु आज्ञा दिल - याह करह कीर्तन ।
मुञि संहारिमु आजि सकल यवन ॥130॥
 
अनुवाद
महाप्रभु चैतन्य ने आज्ञा दी, “जाओ, संकीर्तन करो। मैं आज सारे मुसलमानों को मार डालूँगा!”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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