श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.17.13 
প্রথমে ষড্-ভুজ তাঙ্রে দেখাইল ঈশ্বর
শঙ্খ-চক্র-গদা-পদ্ম-শার্ঙ্গ-বেণু-ধর
प्रथमे षड् - भुज ताँरे देखाइल ईश्वर ।
शङ्ख - चक्र - गदा - पद्म - शाङ्ग - वेणु - धर ॥13॥
 
अनुवाद
एक दिन चैतन्य महाप्रभु ने नित्यानन्द प्रभु को शंख, चक्र, गदा, कमल, धनुष और बाँसुरी धारण किये हुए अपना छह-हाथों वाला रूप दिखाया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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