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श्लोक 1.17.12  |
তবে নিত্যানন্দ-স্বরূপের আগমন
প্রভুকে মিলিযা পাইল ষড্-ভুজ-দর্শন |
तबे नित्यानन्द - स्वरूपेर आगमन ।
प्रभुके मिलिया पाइल षड् - भुज - दर्शन ॥12॥ |
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अनुवाद |
इस उत्सव के बाद श्रीवास ठाकुर के घर पर नित्यानन्द प्रभु आये, और जब उनकी भेंट भगवान चैतन्य से हुई तो उन्हें उनके छह-भुजाधारी रूप के दर्शन करने का अवसर मिला। |
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