श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 117
 
 
श्लोक  1.17.117 
জল পান করিযা নাচে হঞা বিহ্বল
যমুনাকর্ষণ-লীলা দেখযে সকল
जल पान करिया नाचे ह ञा विह्वल ।
यमुनाकर्षण - लीला देखये सकल ॥117॥
 
अनुवाद
जल पीकर भगवान चैतन्य इतने भाव विभोर हो गए कि वे नाचने लगे। इस प्रकार सभी ने यमुना आकर्षण लीला देखी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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