श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 17: चैतन्य महाप्रभु की युवावस्था की लीलाएँ  »  श्लोक 106
 
 
श्लोक  1.17.106 
পরম-তত্ত্ব, পর-ব্রহ্ম, পরম-ঈশ্বর
দেখি’ প্রভুর মূর্তি সর্ব-জ্ঞ হ-ইল ফাঙ্ফর
परम - तत्त्व, पर - ब्रह्म, परम - ईश्वर ।
देखि’ प्रभुर मूर्ति सर्वज्ञ हइल फाँफर ॥106॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु को परम सत्य, परम ब्रह्म भगवान् के रूप में अनुभव कर वह ज्योतिषी आश्चर्य में पड़ गया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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