श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु की बाल्य तथा कैशोर लीलाएँ  »  श्लोक 83
 
 
श्लोक  1.16.83 
গঙ্গার মহত্ত্ব — সাধ্য, সাধন তাহার
বিষ্ণু-পাদোত্পত্তি — ‘অনুমান’ অলঙ্কার
गङ्गार महत्त्व साध्य, साधन ताहार ।
विष्णु - पादोत्पत्ति - ‘अनुमान’ अलङ्कार ॥83॥
 
अनुवाद
गंगा नदी की सबसे बड़ी गौरवशाली बात यह है कि वे भगवान विष्णु के चरण कमलों से उत्पन्न हुई हैं। वैसी परिकल्पना को अनुमान अलंकार कहते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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