श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु की बाल्य तथा कैशोर लीलाएँ  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  1.16.18 
প্রভুর অতর্ক্য-লীলা বুঝিতে না পারি
স্ব-সঙ্গ ছাডাঞা কেনে পাঠায কাশীপুরী
प्रभुर अतर्क्स - लीला बुझिते ना पारि ।
स्व - सङ्ग छाड़ाबा केने पाठाय काशीपुरी ॥18॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु की अचिन्त्य लीलाओं को मैं नहीं समझ सकता, क्योंकि तपन मिश्र उनके साथ नवद्वीप में रहना चाहते थे, किन्तु प्रभु ने उन्हें वाराणसी जाने का आदेश दे दिया था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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