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श्लोक 1.16.103  |
শৈশব-চাপল্য কিছু না লবে আমার
শিষ্যের সমান মুঞি না হঙ্ তোমার |
शैशव - चापल्य किछु ना लबे आमार ।
शिष्येर समान मुञि ना हँ तोमार ॥103॥ |
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अनुवाद |
"मैं आपका शिष्य बनने लायक भी नहीं हूँ। इसलिए कृपया मैंने जो कुछ भी बचकाना दुस्साहस दिखाया है, उसे बुरा न माने।" |
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