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श्लोक 102
श्लोक
1.16.102
দোষ-গুণ-বিচার — এই অল্প করি’ মানি
কবিত্ব-করণে শক্তি, তাঙ্হা সে বাখানি
दोष - गुण - विचार - एइ अल्प क रि’ मानि ।
कवित्व - करणे शक्ति, ताँहा से वाखानि ॥102॥
अनुवाद
ऐसे दोषों को नज़रअंदाज़ किया जाना चाहिए। ध्यान केवल इस पर होना चाहिए कि ऐसे कवियों ने अपनी काव्य क्षमता का कैसे प्रदर्शन किया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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