पूर्व - सिद्ध भाव दुँहार उदय करिल ।
दैवे वनमाली घटक शची - स्थाने आइल ॥29॥
अनुवाद
जब महाप्रभु और लक्ष्मीदेवी मिले, तो उनके रिश्ते जागृत हुए, जो पहले से ही तय हो चुके थे। और संयोग से, वनमाली नाम का एक व्यक्ति, जो लोगों के विवाह तय कराता था, शचीमाता से मिलने आया।