श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 15: महाप्रभु की पौगण्ड-लीलाएँ  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.15.22 
এই মত নানা লীলা করে গৌরহরি
কি কারণে লীলা, — ইহা বুঝিতে না পারি
एइ मत नाना लीला करे गौरहरि ।
कि कारणे लीला , - इहा बुझिते ना पारि ॥22॥
 
अनुवाद
इस प्रकार चैतन्य महाप्रभु ने अनेक लीलाएँ कीं, लेकिन ऐसा क्यों किया समझ नहीं आता।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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