श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 15: महाप्रभु की पौगण्ड-लीलाएँ » श्लोक 14 |
|
| | श्लोक 1.15.14  | ভাল হৈল, — বিশ্বরূপ সন্ন্যাস করিল
পিতৃ-কুল, মাতৃ-কুল, — দুই উদ্ধারিল | भाल हैल , - विश्वरूप सन्न्यास करिल ।
पितृ - कुल, मातृ - कुल, दुइ उद्धारिल ॥14॥ | | अनुवाद | महाप्रभु ने कहा, “हे माता और पिता! विश्वरूप ने संन्यास स्वीकार कर लिया है, यह बहुत ही अच्छा हुआ। क्योंकि इस तरह उसने अपने पिता के परिवार और अपनी मां के परिवार दोनों का उद्धार कर दिया है।” | | |
| ✨ ai-generated | |
|
|