श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव  »  श्लोक 84
 
 
श्लोक  1.13.84 
জগন্নাথ মিশ্র কহে, — স্বপ্ন যে দেখিল
জ্যোতির্ময-ধাম মোর হৃদযে পশিল
जगन्नाथ मिश्र कहे , - स्वप्न ग्ने देखिल ।
ज्योतिर्मय - धाम मोर हृदये पशिल ॥84॥
 
अनुवाद
तब जगन्नाथ मिश्र ने कहा, "मैंने सपने में देखा था कि भगवान् का चमकदार निवास मेरे हृदय में प्रवेश कर रहा है।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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