श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव » श्लोक 81 |
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| | श्लोक 1.13.81  | মিশ্র কহে শচী-স্থানে, — দেখি আন রীত
জ্যোতির্ময দেহ, গেহ লক্ষ্মী-অধিষ্ঠিত | मिश्र कहे शची - स्थाने, - देखि आन रीत ।
ज्योतिर्मय देह, गेह लक्ष्मी - अधिष्ठित ॥81॥ | | अनुवाद | जगन्नाथ मिश्र ने शचीमाता से कहा, “मैं अद्भुत चीजें देख रहा हूँ! तुम्हारा शरीर कांतिमान है, और ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात लक्ष्मी माँ मेरे घर में पधारी हैं। | | |
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