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श्लोक 1.13.79  |
পুত্র পাঞা দম্পতি হৈলা আনন্দিত মন
বিশেষে সেবন করে গোবিন্দ-চরণ |
पुत्र पाञा दम्पति हैला आनन्दित मन ।
विशेषे सेवन करे गोविन्द - चरण ॥79॥ |
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अनुवाद |
विश्वरूप को पुत्र के रूप में पाकर जगन्नाथ मिश्र और शचीमाता के मन अति प्रसन्न थे। इसी प्रसन्नता के कारण वे गोविन्द के चरणकमलों की सेवा विशेष रूप से करने लगे। |
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