श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव  »  श्लोक 68
 
 
श्लोक  1.13.68 
লোকের নিস্তার-হেতু করেন চিন্তন
কেমতে এ সব লোকের হ-ইবে তারণ
लोकेर नि स्तार - हेतु करेन चिन्तन ।
केमते ए सब लोकेर हुइबे तारण ॥68॥
 
अनुवाद
संसार की ऐसी अवस्था को देखकर वे गंभीरतापूर्वक विचार करने लगे कि इन लोगों का माया के चंगुल से कैसे छुटकारा दिलाया जाए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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