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अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव
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श्लोक 51
श्लोक
1.13.51
আদি-লীলা-সূত্র লিখি, শুন, ভক্ত-গণ
সঙ্ক্ষেপে লিখিযে সম্যক্ না যায লিখন
आदि - लीला - सूत्र लिखि, शुन, भक्त - गण ।
सङ्क्षेपे लिखिये सम्यक् ना याय लिखन ॥51॥
अनुवाद
हे भक्तगण, मैं यहाँ आदि-लीला का संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत कर रहा हूँ। मैं इन लीलाओं का पूरा वर्णन नहीं कर सकता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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