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श्लोक 1.13.38  |
তার মধ্যে ছয বত্সর ভক্তগণ-সঙ্গে
প্রেম-ভক্তি লওযাইল নৃত্য-গীত-রঙ্গে |
तार मध्ये छय वत्सर भक्तगण - सङ्गे ।
प्रेम - भक्ति लओयाइल नृत्य - गीत - रङ्गे ॥38॥ |
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अनुवाद |
उन्नीस वर्षों में से छः वर्षों तक वे लगातार जगन्नाथ पुरी में रहे और नियमित रूप से कीर्तन कर भक्तों को कीर्तन और नृत्य द्वारा कृष्ण-प्रेम के प्रति प्रेरित किया। |
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