श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  1.13.25 
‘গৌরহরি’ বলি’ তারে হাসে সর্ব নারী
অতএব হৈল তাঙ্র নাম ‘গৌরহরি’
‘गौरहरि’ बलि’ तारे हासे सर्व नारी ।
अतएव हैल ताँर नाम ‘गौरहरि ॥25॥
 
अनुवाद
जब स्त्रियों ने यह मज़ाक देखा, तो वे खुलकर हँसने लगीं और उन्होंने भगवान को ‘गौरहरि’ कहकर पुकारना शुरू कर दिया। तब से, उनका एक और नाम "गौरहरि" हो गया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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