श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव » श्लोक 114 |
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| | श्लोक 1.13.114  | দুর্বা, ধান্য, গোরোচন, হরিদ্রা, কুঙ্কুম, চন্দন,
মঙ্গল-দ্রব্য পাত্র ভরিযা
বস্ত্র-গুপ্ত দোলা চডি’ সঙ্গে লঞা দাসী চেডী,
বস্ত্রালঙ্কার পেটারি ভরিযা | दुर्वा, धान्य, गोरोचन, हरिद्रा, कुङ्कम, चन्दन ,
मङ्गल - द्रव्य पात्र भरिया ।
वस्त्र - गुप्त दोला चड़ि’ सङ्गे लजा दासी चेड़ी,
वस्त्रालङ्कार पेटारि भरिया ॥114॥ | | अनुवाद | सीता ठाकुराणी कपड़े से ढकी हुई पालकी में सवार होकर और दासीयों को साथ लेकर जगन्नाथ मिश्र के घर पधारीं। वे अपने साथ कई तरह की शुभ सामग्री - जैसे कि दूर्वा, धान, गोरोचन, हल्दी, कुंकुम और चंदन लाई थीं। ये सारी भेंटें एक बड़ी पिटारी में भरी हुई थीं। | | |
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