श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव » श्लोक 110 |
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| | श्लोक 1.13.110  | শ্রীবাসের ব্রাহ্মণী, নাম তাঙ্র ’মালিনী’,
আচার্যরত্নের পত্নী-সঙ্গে
সিন্দূর, হরিদ্রা, তৈল, খ-ই, কলা, নারিকেল,
দিযা পূজে নারীগণ রঙ্গে | श्रीवासेर ब्राह्मणी, नाम ताँर ‘मालिनी’,
आचार्यरत्नेर पत्नी - सङ्गे ।
सिन्दूर, हरिद्रा, तैल, खइ, कला, नारिकेल ,
दिया पूजे नारीगण रङ्गे ॥110॥ | | अनुवाद | श्रीवास ठाकुर की पत्नी मालिनी और चन्द्रशेखर (आचार्यरत्न) की पत्नी के साथ-साथ अन्य महिलाएँ अत्यंत हर्षित मन से बालक की पूजा करने आईं। वे सिन्दूर, हल्दी, तेल, खइ (भुने हुए चावल), केले और नारियल जैसी सामग्री लेकर आईं। | | |
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