श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव » श्लोक 108 |
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| | श्लोक 1.13.108  | আচার্যরত্ন, শ্রীবাস, জগন্নাথ-মিশ্র-পাশ,
আসি’ তাঙ্রে করে সাবধান
করাইল জাতকর্ম, যে আছিল বিধি-ধর্ম,
তবে মিশ্র করে নানা দান | आचार्यरत्न, श्रीवास, जगन्नाथ मिश्र - पाश,
आसि’ ताँरे करे सावधान ।
कराइल जातकर्म, ये आछिल विधि - धर्म,
तबे मिश्र करे नाना दान ॥108॥ | | अनुवाद | चन्द्रशेखर आचार्य तथा श्रीवास ठाकुर जी, दोनों ने मिलकर जगन्नाथ मिश्र जी पर तरह-तरह से ध्यान दिया और जन्म के समय, धार्मिक नियमों के अनुसार सभी अनुष्ठान सम्पन्न करवाये। जगन्नाथ मिश्र जी ने भी तरह-तरह के दान किये। | | |
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