श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव  »  श्लोक 105
 
 
श्लोक  1.13.105 
সাবিত্রী, গৌরী, সরস্বতী, শচী, রম্ভা, অরুন্ধতী
আর যত দেব-নারীগণ
নানা-দ্রব্যে পাত্র ভরি’, ব্রাহ্মণীর বেশ ধরি’,
আসি’ সবে করে দরশন
सावित्री, गौरी, सरस्वती, शची, रम्भा, अरुन्धती
आर यत देव - नारीगण ।
नाना - द्रव्ये पात्र भ रि’, ब्राह्मणीर वेश ध रि’,
आसि’ सबे करे दरशन ॥105॥
 
अनुवाद
ब्रह्माजी, शिवजी, भगवान नृसिंहदेव, राजा इंद्र और ऋषि वशिष्ठ की पत्नियों व स्वर्ग की अप्सरा रम्भा सहित देवलोक की समस्त स्त्रियां ब्राह्मणियों का वेष धारण करके और नाना प्रकार के उपहार लेकर वहाँ आ गईं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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