श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 13: श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव » श्लोक 104 |
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| | श्लोक 1.13.104  | ব্রাহ্মণ-সজ্জন-নারী, নানা-দ্রব্যে থালী ভরি’
আইলা সবে যৌতুক ল-ইযা
যেন কাঙ্চা-সোণা-দ্যুতি, দেখি’ বালকের মূর্তি,
আশীর্বাদ করে সুখ পাঞা | ब्राह्मण - सज्जन - नारी, नाना - द्रव्ये थाली भ रि’
आइला सबे यौतुक लइया ।
येन काँचा - सोणा - द्युति, देखि’ बालकेर मूर्ति,
आशीर्वाद करे सुख पाञा ॥104॥ | | अनुवाद | विविध प्रकार के पूजनीय ब्राह्मण पुरुष व स्त्रियाँ अनेक उपहारों से भरी थालियों के साथ उपहार भेंट करने आईं। सोने की तरह चमकते हुए रूप वाले नवजात शिशु को देखकर उन सबने बहुत ज्यादा खुशी का अनुभव करते हुए आशीर्वाद दिए। | | |
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