श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 86
 
 
श्लोक  1.12.86 
শ্রীহর্ষ, রঘু-মিশ্র, পণ্ডিত লক্ষ্মীনাথ
বঙ্গবাটী-চৈতন্য-দাস, শ্রী-রঘুনাথ
श्रीहर्ष, रघु - मिश्र, पण्डित लक्ष्मीनाथ ।
बङ्गवाटी - चैतन्य - दास, श्री - रघुनाथ ॥86॥
 
अनुवाद
तेईसवीं शाखा श्रीहर्ष, चौबीसवीं रघु मिश्र, पच्चीसवीं लक्ष्मीनाथ पण्डित, छब्बीसवीं बंगवाटी चैतन्य दास तथा सत्ताइसवीं रघुनाथ शाखा थी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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