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श्लोक 1.12.83  |
বাণীনাথ ব্রহ্মচারী — বড মহাশয
বল্লভ-চৈতন্য-দাস — কৃষ্ণ-প্রেমময |
वाणीनाथ ब्रह्मचारी - बड़ महाशय ।
वल्लभ - चैतन्य - दास - कृष्ण - प्रेममय ॥83॥ |
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अनुवाद |
तेरहवीं शाखा वाणीनाथ ब्रह्मचारी थी और चौदहवीं शाखा वल्लभ-चैतन्य दास थी। ये दोनों महापुरुष सदैव कृष्ण-प्रेम से ओतप्रोत रहते थे। |
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