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श्लोक 1.12.78  |
শাখা-উপশাখা, তার নাহিক গণন
কিছু-মাত্র কহি’ করি দিগ্-দরশন |
शाखा - उपशाखा, तार नाहिक गणन ।
किछु - मात्र क हि’ करि दिग्दरशन ॥78॥ |
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अनुवाद |
अद्वैत आचार्य की बहुतायत शाखाएँ और उपशाखाएँ हैं। उन सबकी पूर्ण रूप से गणना कर पाना बहुत कठिन है। मैंने तो बस पूरे तने और उसकी शाखाओं-उपशाखाओं की एक झलक मात्र प्रस्तुत की है। |
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