श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  1.12.63 
পুরুষোত্তম পণ্ডিত, আর রঘুনাথ
বনমালী কবিচন্দ্র, আর বৈদ্যনাথ
पुरुषोत्तम पण्डित, आर रघुनाथ ।
वनमाली कविचन्द्र, आर वैद्यनाथ ॥63॥
 
अनुवाद
अद्वैत आचार्य के बाद पुरुषोत्तम पंडित, रघुनाथ, वनमाली कविचंद्र और वैद्यनाथ क्रमशः उनतीसवीं, तीसवीं, इकतीसवीं और बत्तीसवीं शाखाएँ थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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