श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार » श्लोक 61 |
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| | श्लोक 1.12.61  | যাদব-দাস, বিজয-দাস, দাস জনার্দন
অনন্ত-দাস, কানু-পণ্ডিত, দাস নারাযণ | यादव - दास, विजय - दास, दास जनार्दन ।
अनन्त - दास, कानु - पण्डित, दास नारायण ॥61॥ | | अनुवाद | यादव दास, विजय दास, जनार्दन दास, अनंत दास, कानु पंडित और नारायण दास क्रमशः अध्वैत आचार्य की उन्नीसवीं, बीसवीं, इक्कीसवीं, बाइसवीं, तेइसवीं और चौबीसवीं शाखाएँ थे। | | |
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