श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  1.12.60 
জগন্নাথ কর, আর কর ভবনাথ
হৃদযানন্দ সেন, আর দাস ভোলানাথ
जगन्नाथ कर, आर कर भवनाथ ।
हृदयानन्द सेन, आर दास भोलानाथ ॥60॥
 
अनुवाद
इसी तरह से जगन्नाथ कर, भवनाथ कर, हृदयानन्द सेन और भोलानाथ दास क्रमशः अद्वैत आचार्य की पंद्रहवीं, सोलहवीं, सत्रहवीं और अठारहवीं शाखाएँ थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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