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श्लोक 1.12.54  |
আচার্যের অভিপ্রায প্রভু-মাত্র বুঝে
প্রভুর গম্ভীর বাক্য আচার্য সমুঝে |
आचार्येर अभिप्राय प्रभु - मात्र बुझे ।
प्रभुर गम्भीर वाक्य आचार्य समुझे ॥54॥ |
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अनुवाद |
केवल चैतन्य महाप्रभु ही अद्वैत आचार्य के मन की बात समझ सके और अद्वैत आचार्य ही महाप्रभु के गहन उपदेशों को समझ पाए। |
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