श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  1.12.54 
আচার্যের অভিপ্রায প্রভু-মাত্র বুঝে
প্রভুর গম্ভীর বাক্য আচার্য সমুঝে
आचार्येर अभिप्राय प्रभु - मात्र बुझे ।
प्रभुर गम्भीर वाक्य आचार्य समुझे ॥54॥
 
अनुवाद
केवल चैतन्य महाप्रभु ही अद्वैत आचार्य के मन की बात समझ सके और अद्वैत आचार्य ही महाप्रभु के गहन उपदेशों को समझ पाए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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