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श्लोक 1.12.48  |
শুনিযা প্রভুর মন প্রসন্ন হ-ইল
দুঙ্হার অন্তর-কথা দুঙ্হে সে জানিল |
शुनिया प्रभुर मन प्रसन्न हइल ।
दुँहार अन्तर - कथा दुँहे से जानिल ॥48॥ |
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अनुवाद |
जब चैतन्य महाप्रभु ने यह सुना, तो उनका चित्त तुष्ट हुआ। केवल वही एक दूसरे के मन की समझ रख सकते थे। |
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