প্রভুকে কহেন — তোমার না বুঝি এ লীলা
আমা হৈতে প্রসাদ-পাত্র করিলা কমলা
प्रभुके कहेन - तोमार ना बुझि ए लीला ।
आमा हैते प्रसाद - पात्र करिला कमला ॥44॥
अनुवाद
श्री अद्वैत आचार्यजी ने भगवान चैतन्य से कहा, “आपकी दिव्य लीलाएँ मेरी समझ में नहीं आती। मेरे प्रति जितनी आपकी कृपा रही है, उससे और अधिक कृपा आपने कमलाकांत पर की है।”