श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  1.12.44 
প্রভুকে কহেন — তোমার না বুঝি এ লীলা
আমা হৈতে প্রসাদ-পাত্র করিলা কমলা
प्रभुके कहेन - तोमार ना बुझि ए लीला ।
आमा हैते प्रसाद - पात्र करिला कमला ॥44॥
 
अनुवाद
श्री अद्वैत आचार्यजी ने भगवान चैतन्य से कहा, “आपकी दिव्य लीलाएँ मेरी समझ में नहीं आती। मेरे प्रति जितनी आपकी कृपा रही है, उससे और अधिक कृपा आपने कमलाकांत पर की है।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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