श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  1.12.43 
এত কহি’ আচার্য তাঙ্রে করিযা আশ্বাস
আনন্দিত হ-ইযা আইল মহাপ্রভু-পাশ
एत क हि’ आचार्य ताँरे करिया आश्वास ।
आनन्दित हइया आइल महाप्रभु - पाश ॥43॥
 
अनुवाद
कमलाकान्त विश्वास को इस प्रकार आश्वासन देकर श्री अद्वैत आचार्य प्रभु श्री चैतन्य महाप्रभु के दर्शन हेतु गये।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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