श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  1.12.42 
যে দণ্ড পাইল শ্রী-শচী ভাগ্যবতী
সে দণ্ড প্রসাদ অন্য লোক পাবে কতি
ये दण्ड पाइल श्री - शची भाग्यवती ।
से दण्ड प्रसाद अन्य लोक पाबे कति ॥42॥
 
अनुवाद
ऐसे ही एक दंड माता शचीदेवी को प्राप्त हुआ। उनसे अधिक भाग्यशाली कौन हो सकता है जिसको ऐसा दंड प्राप्त हो?
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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