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श्लोक 1.12.42  |
যে দণ্ড পাইল শ্রী-শচী ভাগ্যবতী
সে দণ্ড প্রসাদ অন্য লোক পাবে কতি |
ये दण्ड पाइल श्री - शची भाग्यवती ।
से दण्ड प्रसाद अन्य लोक पाबे कति ॥42॥ |
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अनुवाद |
ऐसे ही एक दंड माता शचीदेवी को प्राप्त हुआ। उनसे अधिक भाग्यशाली कौन हो सकता है जिसको ऐसा दंड प्राप्त हो? |
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