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श्लोक 1.12.41  |
দণ্ড পাঞা হৈল মোর পরম আনন্দ
যে দণ্ড পাইল ভাগ্যবান্ শ্রী-মুকুন্দ |
दण्ड पाना हैल मोर परम आनन्द ।
ये दण्ड पाइल भाग्यवान्श्री - मुकुन्द ॥41॥ |
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अनुवाद |
“चैतन्य महाप्रभु के द्वारा सज़ा देने पर मुझे बहुत खुशी हुई कि मुझे भी श्री मुकुन्द जैसा ही दंड मिला है।” |
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