श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 12: अद्वैत आचार्य तथा गदाधर पण्डित के विस्तार  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  1.12.18 
কৃষ্ণ-মিশ্র-নাম আর আচার্য-তনয
চৈতন্য-গোসাঞি বৈসে যাঙ্হার হৃদয
कृष्ण - मिश्र - नाम आर आचार्य - तनय ।
चैतन्य - गोसाञि बैसे याँहार हृदय ॥18॥
 
अनुवाद
कृष्ण मिश्र अद्वैत आचार्य के पुत्र थे। उनके हृदय में भगवान चैतन्य महाप्रभु हमेशा विराजमान रहते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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