श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  1.11.59 
অনর্গল প্রেম সবার, চেষ্টা অনর্গল
প্রেম দিতে, কৃষ্ণ দিতে ধরে মহাবল
अनर्गल प्रेम सबार, चेष्टा अनर्गल ।
प्रेम दिते, कृष्ण दिते धरे महाबल ॥59॥
 
अनुवाद
इन सभी भक्तों में अबाध, अनन्त कृष्ण प्रेम को निरंतर वितरित करने की अपरिमित शक्ति थी। अपनी शक्ति से, वे किसी को भी कृष्ण और कृष्ण प्रेम प्रदान कर सकते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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