श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार » श्लोक 58 |
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| | श्लोक 1.11.58  | এই সর্ব-শাখা পূর্ণ — পক্ব প্রেম-ফলে
যারে দেখে, তারে দিযা ভাসাইল সকলে | एइ सर्व - शाखा पूर्ण पक्व प्रेम - फले ।
यारे देखे, तारे दिया भा साइल सकले ॥58॥ | | अनुवाद | श्री नित्यानन्द प्रभु के भक्तों की ये सारी शाखाएँ कृष्ण प्रेम के पके फलों से लदी थीं और जिस किसी से भी उनकी मुलाकात होती, उन सबको ये फल बाँट देते और कृष्ण प्रेम से उनकी आत्मा को तृप्त कर देते। | | |
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