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श्लोक 56
श्लोक
1.11.56
সর্বশাখা-শ্রেষ্ঠ বীরভদ্র গোসাঞি
তাঙ্র উপশাখা যত, তার অন্ত নাই
सर्वशाखा - श्रेष्ठ वीरभद्र गोसाञि ।
ताँर उपशाखा यत, तार अन्त नाइ ॥56॥
अनुवाद
नित्यानंद प्रभु की तमाम शाखाओं में वीरभद्र गोसाई सबसे श्रेष्ठ थे। उनकी उपशाखाएँ अनंत थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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