श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार » श्लोक 50 |
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| | श्लोक 1.11.50  | বসন্ত, নবনী হোড, গোপাল, সনাতন
বিষ্ণাই হাজরা, কৃষ্ণানন্দ, সুলোচন | वसन्त, नवनी होड़, गोपाल, सनातन ।
विष्णाइ हाजरा, कृष्णानन्द, सुलोचन ॥50॥ | | अनुवाद | वसंत इक्यावन के भक्त थे, नवनी होड़ बावन के भक्त थे, गोपाल तिरपन के भक्त थे, सनातन चौवन के भक्त थे, विष्णाइ पचपन के भक्त थे, कृष्णानंद छप्पन के भक्त थे और सुलोचन सत्तावन के भक्त थे। | | |
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