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श्लोक 1.11.44  |
নিত্যানন্দ-ভৃত্য — পরমানন্দ উপাধ্যায
শ্রী-জীব পণ্ডিত নিত্যানন্দ-গুণ গায |
नित्यानन्द - भृत्य - परमानन्द उपाध्याय ।
श्री - जीव पण्डित नित्यानन्द - गुण गाय ॥44॥ |
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अनुवाद |
परमानंद उपाध्याय नित्यानंद प्रभु के सच्चे सेवक थे, और श्री जीव पंडित नित्यानंद प्रभु के गुणों की महिमा करते थे। |
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