श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  1.11.44 
নিত্যানন্দ-ভৃত্য — পরমানন্দ উপাধ্যায
শ্রী-জীব পণ্ডিত নিত্যানন্দ-গুণ গায
नित्यानन्द - भृत्य - परमानन्द उपाध्याय ।
श्री - जीव पण्डित नित्यानन्द - गुण गाय ॥44॥
 
अनुवाद
परमानंद उपाध्याय नित्यानंद प्रभु के सच्चे सेवक थे, और श्री जीव पंडित नित्यानंद प्रभु के गुणों की महिमा करते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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