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श्लोक 1.11.40  |
তাঙ্র পুত্র — মহাশয শ্রী-কানু ঠাকুর
যাঙ্র দেহে রহে কৃষ্ণ-প্রেমামৃত-পূর |
ताँर पुत्र - महाशय श्री - कानु ठाकुर ।
याँर देहे रहे कृष्ण - प्रेमामृत - पूर ॥40॥ |
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अनुवाद |
अत्यन्त आदरणीय पुरुष श्री कानु ठाकुर, श्री पुरुषोत्तम दास ठाकुर के पुत्र थे। वे इस कदर महान भक्त थे कि भगवान कृष्ण सदैव उनके शरीर में निवास करते थे। |
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