श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  1.11.38 
শ্রী-সদাশিব কবিরাজ — বড মহাশয
শ্রী-পুরুষোত্তম-দাস — তাঙ্হার তনয
श्री - सदाशिव कविराज - बड़ महाशय ।
श्री - पुरुषोत्तम - दास - ताँहार तन य ॥38॥
 
अनुवाद
श्री नित्यानंद प्रभु के तेईसवें और चौबीसवें प्रमुख भक्त सदाशिव कविराज और उनके पुत्र पुरुषोत्तमदास थे, जो दसवें गोपाल थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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