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श्लोक 1.11.34  |
বলরাম দাস — কৃষ্ণ-প্রেম-রসাস্বাদী
নিত্যানন্দ-নামে হয পরম উন্মাদী |
बलराम दास - कृष्ण - प्रेम - रसास्वादी ।
नित्यानन्द - नामे हय परम उन्मादी ॥34॥ |
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अनुवाद |
बलराम दास हमेशा कृष्ण प्रेम के अमृत का स्वाद लेते थे। श्री नित्यानंद प्रभु का नाम सुनते ही वे बहुत ज्यादा उन्मादित हो जाते थे। |
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