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श्लोक 1.11.32  |
মহেশ পণ্ডিত — ব্রজের উদার গোপাল
ঢক্কা-বাদ্যে নৃত্য করে প্রেমে মাতোযাল |
महेश पण्डित - व्रजेर उदार गोपाल ।
ढक्का - वाद्ये नृत्य करे प्रेमे मातोयाल ॥32॥ |
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अनुवाद |
महेश पण्डित बारह गोपालों में सातवें थे। वह बहुत ही उदार थे। कृष्ण भक्ति में वह नगाड़े की थाप पर उन्मत्त होकर नाचने लगते थे। |
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