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श्लोक 1.11.27  |
নিত্যানন্দে সমর্পিল জাতি-কুল-পাঙ্তি
শ্রী-চৈতন্য-নিত্যানন্দে করি প্রাণপতি |
नित्यानन्दे समर्पिल जाति - कुल - पाँति ।
श्री - चैतन्य - नित्यानन्दे करि प्राणपति ॥27॥ |
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अनुवाद |
भगवान श्री चैतन्य और भगवान नित्यानंद को अपने जीवन का प्रभु मानकर गौरीदास पंडित ने भगवान नित्यानंद की सेवा में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया, यहाँ तक कि अपने परिवार की सदस्यता का भी त्याग कर दिया। |
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