श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  1.11.25 
সূর্যদাস সরখেল, তাঙ্র ভাই কৃষ্ণদাস
নিত্যানন্দে দৃঢ বিশ্বাস, প্রেমের নিবাস
सूर्यदास सरखेल, ताँर भाइ कृष्णदास ।
नित्यानन्दे दृढ़ विश्वास, प्रेमेर निवास ॥25॥
 
अनुवाद
सूर्यदास सरखेल और उनके छोटे भाई कृष्णदास सरखेल, दोनों नित्यानन्द प्रभु के प्रति अविचल विश्वास रखते थे। वे भक्ति-प्रेम के सागर थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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